Bhagavad Gita Class (Ch3) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

频道详情

Bhagavad Gita Class (Ch3) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

Bhagavad Gita Class (Ch3) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

Podcast from Samskrita Bharati (http://www.samskritabharatiusa.org)

EN United States 宗教

最新节目

33 个节目
03-40-43

03-40-43

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/03-40-43-SBUSA-BG.mp3 इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते। एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिन...

2018-01-17 07:00:37 时长未知
下载
03-38-39

03-38-39

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/03-38-39-SBUSA-BG.mp3 धूमेनाव्रियते वह्निर्यथाऽऽदर्शो मलेन च। यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम्।।...

2018-01-10 07:00:53 时长未知
下载
03-36-37

03-36-37

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/03-36-37-SBUSA-BG.mp3 अर्जुन उवाच अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुषः। अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव...

2018-01-03 07:00:34 时长未知
下载
03-35

03-35

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/03-35-SBUSA-BG.mp3 श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भया...

2017-12-27 07:00:06 时长未知
下载
03-34

03-34

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/03-34-SBUSA-BG.mp3 इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे रागद्वेषौ व्यवस्थितौ। तयोर्न वशमागच्छेत्तौ ह्यस्य परि...

2017-12-20 07:00:36 时长未知
下载
03-33

03-33

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/03-33-SBUSA-BG.mp3 सदृशं चेष्टते स्वस्याः प्रकृतेर्ज्ञानवानपि। प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रहः किं कर...

2017-11-08 07:00:21 时长未知
下载
03-31-32

03-31-32

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/03-31-32-SBUSA-BG.mp3 ये मे मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवाः। श्रद्धावन्तोऽनसूयन्तो मुच्यन्ते तेऽपि क...

2017-11-01 06:00:28 时长未知
下载
03-30

03-30

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/03-30-SBUSA-BG.mp3 मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा। निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्...

2017-10-25 06:00:06 时长未知
下载
03-29

03-29

प्रकृतेर्गुणसम्मूढाः सज्जन्ते गुणकर्मसु।
तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत्।।3.29।।

2016-09-09 06:00:56 时长未知
下载
03-28

03-28

तत्त्ववित्तु महाबाहो गुणकर्मविभागयोः।
गुणा गुणेषु वर्तन्त इति मत्वा न सज्जते।।3.28।।

2016-09-02 06:00:19 时长未知
下载
03-27

03-27

प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।
अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताऽहमिति मन्यते।।3.27।।

2016-08-26 18:04:10 时长未知
下载
03-26

03-26

न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङ्गिनाम्।
जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान् युक्तः समाचरन्।।3.26।।

2016-08-19 18:02:59 时长未知
下载
03-25

03-25

सक्ताः कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत।
कुर्याद्विद्वांस्तथासक्तश्िचकीर्षुर्लोकसंग्रहम्।।3.25।।

https://www.youtube.com/watch?v...

2016-08-12 06:00:02 时长未知
下载
03-22-23-24

03-22-23-24

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किञ्चन।

नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि।।3.22।।

2016-08-05 06:00:01 时长未知
下载
03-21

03-21

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।3.21।।

2016-05-13 16:15:52 时长未知
下载
03-20

03-20

कर्मणैव हि संसिद्धिमास्थिता जनकादयः।
लोकसंग्रहमेवापि संपश्यन्कर्तुमर्हसि।।3.20।।

2016-05-13 16:14:44 时长未知
下载
03-18-19

03-18-19

नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन।

न चास्य सर्वभूतेषु कश्िचदर्थव्यपाश्रयः।।3.18।।

तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर।

2016-05-13 16:12:48 时长未知
下载
03-17

03-17

यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः।
आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते।।3.17।।

2016-04-01 06:00:55 时长未知
下载
03-16

03-16

एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह यः।

अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति।।3.16।।

2016-03-25 06:00:56 时长未知
下载
03-14-15

03-14-15

अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः।
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः।।3.14।।

कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भ...

2016-03-18 06:00:06 时长未知
下载
03-13

03-13

यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः।
भुञ्जते ते त्वघं पापा ये पचन्त्यात्मकारणात्।।3.13।।

2016-03-11 08:00:06 时长未知
下载
03-12

03-12

इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः।
तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुङ्क्ते स्तेन एव सः।।3.12।।

2016-03-05 08:00:46 时长未知
下载
03-11

03-11

देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ।।3.11।।

2016-02-12 07:00:53 时长未知
下载
03-10

03-10

सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः।
अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक्।।3.10।।

2016-02-05 07:00:55 时长未知
下载
03-09

03-09

यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसंगः समाचर।।3.9।।

2016-01-29 07:00:28 时长未知
下载
03-08

03-08

नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः।।3.8।।

2016-01-19 08:57:41 时长未知
下载
03-07

03-07

यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेऽर्जुन।
कर्मेन्द्रियैः कर्मयोगमसक्तः स विशिष्यते।।3.7।।

2016-01-15 08:56:58 时长未知
下载
03-06

03-06

कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्।
इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते।।3.6।।

2016-01-12 08:56:16 时长未知
下载
03-05

03-05

न हि कश्िचत्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः।।3.5।।

2016-01-08 08:55:26 时长未知
下载
03-04

03-04

न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते।
न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति।।3.4।।

2016-01-05 08:54:13 时长未知
下载
03-03

03-03

श्री भगवानुवाच

लोकेऽस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ।
ज्ञानयोगेन सांख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम्।।3.3।।

2016-01-01 08:52:53 时长未知
下载
03-02

03-02

व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे।
तदेकं वद निश्िचत्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम्।।3.2।।

2015-12-30 08:51:59 时长未知
下载
03-01

03-01

अर्जुन उवाच

ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन।
तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव।।3.1।।

2015-12-29 08:30:17 时长未知
下载
0:00
0:00
Episode
无标题
无频道信息